2100 फ़ीट ऊपर महाभारत कालीन पहाड़ी पर 500 साल पुराना रहस्यमयी मंदिर


महाभारत कालीन प्राचीन द्रोणागिरी पर्वत पर स्थित बालाजी का मंदिर, श्री डूंगर बालाजी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | श्री डूंगर बालाजी मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरो में से एक है |  यह मंदिर सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन से तक़रीबन 13 किलोमीटर दूर गोपालपूरा ग्राम के पास एक पहाड़ी पर स्थित है | ये पहाड़ी 2100 फिट ऊँची होने के साथ-साथ  प्राचीन कालीन भी मानी जाती, इस पहाड़ी को महाभारत कालीन भी कहा जाता है | इस पहाड़ी को द्रोणागिरी पर्वत के नाम से भी जाना जाता है | कहते है कि यहाँ महर्षि द्रोणाचार्य का आश्रम हुआ करता था | भक्ति और श्रद्धा साथ यहाँ लोग पहाड़ी पर आनंद की अनुभति के लिए घुमने भी आते है | यहाँ हर साल लाखो लोग पर्यटक के रूप में आते है | इस मंदिर के साथ साथ यहाँ और भी मंदिर है , पहाड़ी के निचे माता अंजनी का मंदिर है | इससे आगे बढ़ने पर सीढ़िया शुरू होती है जहां जीण माता, संतोषी माता और भैरव जी मंदिर है | 

इस मंदिर और पहाड़ी से जुडी ऐसी अनेक किंवदंतिया है | जिनके बारे में हम आगे इस Blog में जानेंगे |

श्री डूंगर बालाजी मंदिर का इतिहास 

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार माना जाता है की ये मंदिर 450 - 500 साल प्राचीन है, ये मंदिर लगभग 1627 ई. में तत्कालीन बीकानेर के महाराजा ने इस पहाड़ी पर महल/किला बनवाने की सोची तभी उनके स्वप्न में बालाजी महाराज ने दर्शन दिये और बोले की यदि खुदाई में मेरी मूर्ति मिले तो मंदिर बनवा लेना नहीं तो महल/ किले का निर्माण करा लेना | अगली सुबह जब राजा ने महल बनवाने का कार्य शुरू किया जब वे नींव की खुदाई करने लगे तो वहाँ बालजी की दिव्य प्रतिमा मिली, तभी राजा उस दिव्य आलौकिक प्रतिमा को हाथ जोड़कर उसी पहाड़ी पर बालाजी का एक छोटा सा मंदिर बनवा दिया और एक बालाजी की प्रतिमा राजा में अपनी ओर से स्थापित करवा दी |


श्री डूंगर बालाजी मंदिर से जुड़ी किंवदंतिया

रामायण कालीन:- माना जाता की है ये पहाड़ी रामायण काल से सम्बन्ध रखती है, जब हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिये जो संजीवनी बूंटी का पर्वत ले जा रहे थे  ये पर्वत भी उसी पर्वत का अंश है (ये सिर्फ किंवदंति है )

महाभारत कालीन:- कई किंवदंतियो के अनुसार ये मना जाता है की इस पहाड़ी का सम्बन्ध महाभारत काल से है, यहाँ पर महर्षि द्रोणाचार्य का आश्रम हुआ करता था और वे यही पांड्वो को शिक्षा देते थे | इसी लिए शायद इस पर्वत श्रृंखला को द्रोणागिरी पर्वत कहाँ जाता है |

गुफा का रहस्य 

श्री डूंगर बालाजी पहाड़ी की बाएँ ओर एक गुफा भी है जिसके बारे में भी अनेक किंवदंतिया है, इस गुफा के बारे में ये भी माना जाता है की अश्वथामा आज भी इस गुफा में रहते है और वहा के लोगो का ये भी कहना है की अश्वथामा साल में एक बार बालाजी के दर्शन के लिए भी आते है |

तीन मूर्तियों का रहस्य  

श्री डूंगर बालाजी मंदिर के मुख्य मठ में तीन प्रतिमा स्थापित है जिनमे से 

  • पहली मूर्ति (फोटो में दाएँ तरफ) स्वत: प्रकट बालाजी की दिव्य और आलौकिक प्रतिमा है | 
  • दूसरी मूर्ति (जो मूर्ति मध्य में स्थापित है) ये मूर्ति मंदिर में राजा द्वारा स्थापित करवाई गई थी | 
  • तीसरी मूर्ति (फोटो में बाएँ तरफ) ये मूर्ति मंदिर जीर्णोद्वार के समय तापडिया परिवार में स्थापित करवाई थी |

श्री डूंगर बालाजी मंदिर में जाने के लिए आपको 2100 फीट ऊँची पहाड़ी पर चढाई करनी पड़ती है, जिसके लिये सीढ़िया और सड़क मार्ग दोनों सुविधाएं उपलब्ध है, अगर आप मनोरम दृश्यों का आनन्द लेते हुए जाना चाहते है तो आप सीढ़िया के मध्यम से जा सकते है जिसमे करीब 375 सीढ़िया है जहां से आप वहां के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ बालाजी महाराज के दर्शन कर सकते है | पहाड़ी पर चढाई करने के लिए दूसरा रास्ता सड़क मार्ग है जिसमे आप गाड़ी लेकर पहाड़ी पर जा सकते है और बालाजी महाराज के दर्शन कर सकते है, मंदिर में दर्शन के लिए रोज लगभग 25-30 वाहन चढ़ते है |  



जानकारी आभार :- मंदिर पुजारी परिवार और ग्राम वासी ( धन्यवाद )

नोट 

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