गुलाबी पत्थरो से बना स्मारक, जिसकी सुंदरता देखते रहने के लिए मजबूर हो जाओगे : हाशमी मस्जिद

ऐसा अक्सर नहीं होता है कि किसी जगह या स्मारक की सुंदरता आपको देखते रहने को मज़बूर कर देती है, लेकिन हाशमी मस्जिद के मामले में ऐसा ही है।
यह मस्जिद भव्यता की जीती जागती निशानी है. इसकी मीनार व दीवार पर की गई नक्काशी इतनी खुबसूरत है कि इस पर से नज़र नहीं हटती...
2003 में मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ था। सुजानगढ़ के हाजी याकूब खीची अपने पिता हाशम खीची की याद में ये मस्जिद बना रहे हैं। इसलिए मस्जिद का नाम भी हाशमी मस्जिद रखा गया है।
पिता की याद में इतनी बड़ी मस्जिद
 का निर्माण करवाने वाले मुश्किल से मिलते है..
वैसे भी संस्कृत में एक श्लोक है पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः। पितरि प्रीतिमापन्ने सर्वाः प्रीयन्ति देवता।।’
(पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तपस्या है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सारे देवता प्रसन्न हो जाते हैं।)
विशेषताए :-
  1. जमीन से 185 फीट ऊंची इस मस्जिद में दो मीनार बनाए गए हैं। तीन फीट चौड़े मीनार के अंदर से चढ़ने के लिए सीढ़िया बनाई हैं। पूरे गोल राउंड में 117 सीढ़ियां हैं।
  2. मस्जिद में 125 टन वजनी गुंबद बना हुआ है जो की जमीन से 90 फीट ऊपर बना हुआ है। मस्जिद में जोधपुर का गुलाबी पत्थर काम में लिए है।
  3. पत्थरों पर की गई नक्काशी जामा मस्जिद की तरह ही है।
  4. इसमें कोई शक नहीं है की यह सुजानगढ़ की या यू कहें की जिले की सबसे खूबसूरत मस्जिद है ..।।

नोट 

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