बेल्जियम के ख़ास काँच की जड़ाई और अपनी नकासी के लिए प्रसिद्ध है : सिंघी जैन मंदिर


श्री देवसागर सिंघी जैन मंदिर
श्री देवसागर सिंघी जैन मंदिर राजस्थान के चूरू जिले के शहर सुजानगढ़ में स्थित है , यह मंदिर अपनी कांच की जड़ाई एवं स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं ..।।


ये मंदिर 106 वर्ष पुराना है, इस मंदिर का निर्माण 1907 से लेकर 1915 तक चला | इस मंदिर का निर्माण बड़े भाई की याद में किया गया था | (मंदिर में इनका शिलालेख भी है ) जिसकी सुजानगढ़ में वर्ष 1907 (विक्रम संवत १९६१) में इस जैन मंदिर की आधारशिला रखी थी .


श्री कुशाल चन्दजी सिंघी के तीन लड़के थे, जेसराजी, गिरधारीलाल जी, और पन्ना चंदजी ।।
मंदिर ट्रस्टी विजयराज सिंघी के अनुसार विक्रम संवत् १९५४ में जैसराज सिंघी कोलकता से सुजानगढ़ आए थे |स्वास्थ्य ख़राब होने पर अंतिम समय में छोटे भाई पन्नेचंद से भगवान पार्श्वनाथ के देवालय बनाने की इच्छा जाहिर की | हालाँकि मंदिर के लिए जैसराज सिंघी ने सुजानगढ़ में जमीन खरीद ली थी , लेकिन छोटे भाई की इच्छानुसार जगह कम थी | पन्नेचंद ने विक्रम संवत १९६१ में बीकानेर स्टेट से जमीन खरीद मंदिर का निर्माण करवाया था | जिसमे भाई गिरधारीलाल सिंघी का भी मंदिर में योगदान रहा | 1915 में मंदिर का निर्माण पूरा हो गया | ख़ास बात ये है की अभी तक मंदिर में रेनोवेशन से जुड़ा कोई काम नहीं हुआ है |   
 

विक्रम संवत 1971 को माघ शुक्ल तेरस की पूर्व संध्या पर मन्दिरो की मूर्तियों का ध्वजारोहण और एक भव्य उत्सव के बाद रखा गया
इस खूबसूरत मन्दिर को बनाने में आठ साल लगे जो की वर्ष 1915 में पूरा होने के बाद से गर्व से खड़ा है..

मंदिर से जुडी ख़ास बाते  :-
  • मन्दिर का स्थान 23 वे जैन तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है |
  • मंदिर में नक्काशी, पानीदार व पारदर्शी कांचो के साथ सोने चांदी की परते बेहद कलात्मक व अनूठी है |
  • ख़ास बात ये है की मंदिर में लगे छोटे छोटे आवदार कांच विशेष तौर पर बेल्जियम से मंनवाए गये थे |
  • मंदिर के बीच में नक्काशीदार 14 खंभे है | मंदिर की बेदी के बाहर लगे गुंबद में 10 धातु का एक महराबदार गर्डर लगा हुआ है | 
  • गुंबद के निचे लगा झूमर बेल्जियम से मंगवाया था, लाल रंग के इतने पुराने झूमर की खूबसूरती आज भी वैसी बनी हुई है | 


नोट 

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जानकारी आभार 
मंदिर ट्रस्ट परिवार और ग्राम वासी ( धन्यवाद )

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