तिरूपति बालाजी मंदिर , सुजानगढ़

तिरूपति बालाजी मंदिर
यह उत्तर भारत का पहला तिरुपति बालाजी मंदिर है ,
मंदिर वेंकटेश्वर ट्रस्ट फाउंडेशन की पहल पर बनाया गया था..
व्यवसायी स्वर्गीय श्री सोहनलालजी जाजोदिया और उनके परिजनों द्वारा इसका निर्माण कराया गया ।
मंदिर का 21 फरवरी 1994 को उद्‌घाटन हुआ,
इस मन्दिर की खासियत है 51 किलो का गरुड़ स्तंभ।
मंदिर के पुजारी रमेशचंद्र शास्त्री बताते हैं इसके लिए दक्षिण भारत से कारीगर बुलाए गए थे। इसके निर्माण कार्य में सोने-तांबे और लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। सभी मूर्तियां हस्त निर्मित हैं ,
10 अवतार के पूर्ण स्वरूप भगवान विष्णु के तिरुपति बालाजी मंदिर में दिखाए गए हैं।
भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति काले पत्थर से बने गर्भगृह में निवास करती है। इस मंदिर में सभी अनुष्ठान और समारोह दक्षिण भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार किए जाते हैं।
वेंकटेश्वर भगवान के मंडप के पास में ही पद्मावती का मंडप है। जय और विजय भगवान के दो चौकीदार बनाए हुए हैं।
प्रवेश द्वार पर दो संगमरमर के हाथी बने हुये हैं ..
यहां हर साल दीपावली के दस दिन बाद महाविष्णु यज्ञ किया जाता है, जिसे पावित्रा उत्सव कहा जाता हैं ..
विशेषताएं
  • 51 किलो का गरुड़ स्तंभ मंदिर में आकर्षण का केंद्र है। सोने-तांबे व लकड़ी का इस्तेमाल से 1996 में स्तंभ का 3 महीने में निर्माण हुआ था।
  • 10 अवतार के पूर्ण स्वरूप भगवान विष्णु के तिरुपति बालाजी मंदिर में दिखाए गए हैं। इस मंदिर में प्रतिदिन औसतन दो हजार श्रद्धालु आते हैं।
  • 02 हाथी हैं संगमरमर के प्रवेश द्वार पर। भगवान के मंडप के पास में ही पद्मावती का मंडप है। जय और विजय भगवान के दो चौकीदार बनाए हुए हैं।

नोट 

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जानकारी आभार 
मंदिर ट्रस्ट परिवार और ग्राम वासी ( धन्यवाद )

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