महाभारत कालीन कालका माता का मंदिर...


यह मंदिर सुजानगढ़ तहसील में सालासर बालाजी से करीब 15km दूर स्यानण/साण्डन की डूंगरी पर स्थित है, पहाड़ी के पत्थर बजरी युक्त बुरे रंग के हैं, ऐसे पत्थर अन्यत्र नहीं पाए जाते,

कहा जाता है कि पांडव अपने आज्ञातवास के दौरान यहां पर रुके थे,
इसके अलावा मंदिर से 9 वीं सदी का एक शिलालेख भी मिला है, जो मंदिर की प्राचीनता को दर्शाता हैं ,
शैली एंव स्थापत्य की दृष्टि से ये हर्षनाथ के देवालय से साम्य रखते है, मंदिर के परिसर में कलापूर्ण बनाई गई अनगिनत मुर्तिया खंडित अवस्था मे पड़ी हैं, जो हमे भारत में होने वाले विदेशीयो के आक्रमणों की याद दिलाते हैं, मानव, किन्नर, यक्ष, गन्धर्व तथा पशु-पक्षियों के साथ देवी-देवताओं की मूर्तियां भी पत्थरो पर उत्कीर्ण की गई हैं,
इसके अलावा यहां एक चोर गुफा भी हैं, जिसको लेकर एक कहानी भी है कि माँ ने कैसे अपने एक भक्त जो कि चोर था उसको बचाने के लिए एक बैल को गाय बना दिया,
लोगो की ऐसी मान्यता है कि जो यहां सच्चे मन से दर्शन करने आते है , माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं..।।
नोट 

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जानकारी आभार 
मंदिर ट्रस्ट परिवार और ग्राम वासी ( धन्यवाद )

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