ऐसा पुस्तकालय जहाँ सोने की पुस्तकें हुआ करती थी !

चोपड़ा पुस्तकालय जहां एक समय में सोने की नक्काशी की हुई पुस्तके हुआ करती थीं , इसका लोकार्पण बीकानेर के महाराजा गंगासिंह जी के द्वारा किया गया था,

कुछ समय बाद ये पुस्तकालय से दवा खाना बना , और यहां से सभी पुस्तके हटा ली गई ,

बाद में दवा खाना भी बन्द हो गया और कुछ लोग यहां रहने लगे और कुछ समय रहने के बाद वो भी यहां से चले गए....

और तब से ये तकरीबन पिछले १५-२० सालो से बन्द हैं ..

किसी ने सच ही कहा हैं पुरानी इमारतें बूढ़ी औरतों की तरह होती हैं इठलाते बचपन की तरह किसी ने उन्हें प्यार से उठाया; जवान अल्हड़ नक्काशियाँ की; उनकी चुनरी पर धानी, नीले, लाल और चटख रंग भरे| वही नशीली इमारतें अब वह दौर भी देख रही हैं, जब बुढ़ापे में उनके दरवाजे की रौनक कम होने लगी है।

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भूतोडिया बास, सुजानगढ़ ।।

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